Sunday, May 24, 2009

करुणा कर

सांब सदाशिव शंकर नीलकंठ गौरीहर
हे उमापती महेश भूतनाथ गिरिजावर

करी धारिसि त्रिशुल डमरु हे नटवर शशिशेखर
अंगी चिताभस्म लेप सर्पमाळ व्याघ्राम्बर

मदन दग्ध करिसि तूच हे त्रिनेत्र नंदीश्वर
रौद्र तुझे तांडव ते भीषण अन् प्रलयंकर

शंभो कैलासनाथ भालचंद्र गंगाधर
तूच सत्य, शिव, सुंदर करुणाकर करुणा कर

No comments:

Post a Comment