हरिवंशराय बच्चन यांच्या 'कहते हैं तारे गाते हैं' या कवितेचा स्वैर भावानुवाद
असीम शांती पृथ्वितलावर
कान लावले गगनपटावर
असंख्य, अगणित कंठांमधले तरी न ऐकू ये गाणे
तारेही गातात म्हणे.............
स्वर्ग ऐकतो मधुर गान ते
धरा फक्त इतकेच जाणते
मूक अश्रु ढाळतात तारे दंवबिंदूच्या रूपाने
तारेही गातात म्हणे.............
वरती देव, धरेवर मानव
नभात घुमते गीत नि क्रंदन
राग चढत जातो, अन् अश्रू ढळती पापणकाठाने
तारेही गातात म्हणे.............
ही आहे मूळ रचना
सन्नाटा वसुधा पर छाया,
नभ में हमनें कान लगाया,
फ़िर भी अगणित कंठो का यह राग नहीं हम सुन पाते हैं
कहते हैं तारे गाते हैं
ㅤ
स्वर्ग सुना करता यह गाना,
पृथ्वी ने तो बस यह जाना,
अगणित ओस-कणों में तारों के नीरव आंसू आते हैं
कहते हैं तारे गाते हैं
ㅤ
उपर देव तले मानवगण,
नभ में दोनों गायन-रोदन,
राग सदा उपर को उठता, आंसू नीचे झर जाते हैं
कहते हैं तारे गाते हैं....
असीम शांती पृथ्वितलावर
कान लावले गगनपटावर
असंख्य, अगणित कंठांमधले तरी न ऐकू ये गाणे
तारेही गातात म्हणे.............
स्वर्ग ऐकतो मधुर गान ते
धरा फक्त इतकेच जाणते
मूक अश्रु ढाळतात तारे दंवबिंदूच्या रूपाने
तारेही गातात म्हणे.............
वरती देव, धरेवर मानव
नभात घुमते गीत नि क्रंदन
राग चढत जातो, अन् अश्रू ढळती पापणकाठाने
तारेही गातात म्हणे.............
ही आहे मूळ रचना
सन्नाटा वसुधा पर छाया,
नभ में हमनें कान लगाया,
फ़िर भी अगणित कंठो का यह राग नहीं हम सुन पाते हैं
कहते हैं तारे गाते हैं
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स्वर्ग सुना करता यह गाना,
पृथ्वी ने तो बस यह जाना,
अगणित ओस-कणों में तारों के नीरव आंसू आते हैं
कहते हैं तारे गाते हैं
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उपर देव तले मानवगण,
नभ में दोनों गायन-रोदन,
राग सदा उपर को उठता, आंसू नीचे झर जाते हैं
कहते हैं तारे गाते हैं....
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